
अंग्रेजी पुस्तक के तीसरे संशोधित संस्करण का हिंदी अनुवाद
लेखक: आर आर गौर, आर अस्थाना, जी पी बाघरिया
अंग्रेजी पुस्तक के तीसरे संशोधित संस्करण का हिंदी अनुवाद, 2025
मानव मूल्य एवं व्यावसायिक नैतिकता पर एक आधारभूत पाठ्यक्रम के लिए प्रस्तुत की गयी यह पाठ्यपुस्तक, लेखकों और उनके सहयोगियों द्वारा इस दिशा में किये गए लम्बे प्रयोग, परामर्श और चिंतन पर आधारित है| इसका उद्देश्य तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा को मूल्य शिक्षा की एक ऐसी पद्धति से जोड़ना है जो कि सार्वभौमिक रूप से सभी को स्वीकार्य हो| इस प्रकार से यह व्यावसायिक कौशल के साथ-साथ मानवीय मूल्यों को शिक्षा में एकीकृत करने के लिए लम्बे समय से महसूस की जा रही तात्कालिक आवश्यकता की पूर्ती करता है| इसमें मानव और शेष प्रकृति की सही समझ पर केन्द्रित एक अद्वितीय अध्ययन पद्धति को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत किया गया है| इसमें समग्र अस्तित्व में अन्तर्निहित व्यवस्था और सहअस्तित्व को समझने का प्रयास किया गया है जो कि सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों का आधार है और यह समग्रात्मक दृष्टि एवं मानवीय चेतना की ओर परिमार्जन में भी सहायक है|
इस पुस्तक में की गयी चर्चा, मानव की मूल चाहना को निरंतर सुख और समृद्धि के रूप में पहचानने एवं इसके लिए एक उपयुक्त कार्यक्रम को समझने पर केन्द्रित है जिससे कि मानव तृप्तिपूर्वक जीने में सक्षम हो सके| मानव से लेकर समग्र अस्तित्व तक फैले विभिन्न स्तरों पर, व्यवस्था को समझना इस पुस्तक की मुख्य विषय वस्तु है| अंत में मानव के जीने एवं उसके व्यवसाय में सही समझ के महत्वपूर्ण निहितार्थों को पर्याप्त रूप से विस्तरित किया गया है|
पारंपरिक उपायों से भिन्न, यह पुस्तक व्यावसायिक नैतिकता के मुद्दों का सही समझ के सन्दर्भ में विश्लेषण करती है जिससे कि विभिन्न नैतिक समस्याओं का समाधान स्वतः ही संभव हो पाता है| इसमें मुख्य ध्यान, सही समझ के माध्यम से व्यक्ति में नैतिक योग्यता के विकास पर है| यह पुस्तक समग्रात्मक और मूल्य आधारित जीवन जीने की ओर अग्रसरित होने लिए आवश्यक प्रमुख चरणों को प्रस्तावित करने के साथ समाप्त होती है|
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि लेखक और प्रकाशक दोनों ही वर्तमान शिक्षा प्रणाली में मूल्य शिक्षा को एकीकृत करने के प्रयासों को एक अभियान के रूप में देखते हैं अतः इस कार्य के लिए कोई रॉयलटी नहीं ली जा रही है साथ ही पुस्तक की कीमत को भी यथासंभव कम रखने का प्रयास किया गया है| इसके अलावा इस नवीन शिक्षण सामग्री के व्यापक सदुपयोग एवं सहज प्रसार हेतु बिना किसी लागत के यह इ-बुक संस्करण भी उपलब्ध कराया जा रहा है|
सर्व शुभ एवं ज्ञान के सार्वभौमिक प्रसार की भावना से यह पुस्तक, बिना किसी शर्त सभी के लिए उपलब्ध करवाने का प्रयास है। इस पुस्तक की ई-कॉपी निःशुल्क डाउनलोड की जा सकती है।
🌐 वेबसाइट: uhv.org.in
📘 ISBN (प्रिंटेड कॉपी): 978-81-957703-7-3
💻 ISBN (ई-बुक): 978-81-957703-6-6
प्रकाशक: यूएचवी पब्लिकेशन्स, यूएचवी फाउंडेशन, दिल्ली
मुद्रक: पीएचआई, 27 पेस सिटी 1, सेक्टर 37, गुरुग्राम (हरियाणा) – 122001